और क्या है
तेरे सज़दे में झुककर मैं लिखता हूँ ग़ज़ल,
ये इबादत नही तो बता इबादत और क्या है
रात भर सोने नही देती हो ख़्वाब मे आकर,
ये शरारत नही तो बता शरारत और क्या है
मुझसे होकर तो जाती है
मग़र तुझसे होकर नही आती
ये हवा भी मेरे #ख़िलाफ़ चलती है।
सारा मोहल्ला हुआ रौशन
अंधेरा मेरे घर रह गया
ये रौशनी भी मेरे #ख़िलाफ़ चलती है।
#खिलाफ़
मुझसे होकर तो जाती है
मग़र तुझसे होकर नही आती
ये हवा भी मेरे #ख़िलाफ़ चलती है।
सारा मोहल्ला हुआ रौशन
अंधेरा मेरे घर रह गया
ये रौशनी भी मेरे #ख़िलाफ़ चलती है।
#खिलाफ़