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anuj5009765614358
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अनुज

लखनऊ, भारत

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अनुज

White इतने ऊंचे ऊंचे पर्वत,
इतनी नीची नदिया क्यों 
कल ही छोड़ा साथ तुम्हारा, 
लगती जैसे सदियां क्यों,
आओ ! हमारे पास रहो,
जैसे बादल से पर्वत मिलते है,
मैं बन कींच,कमल तुम बनो,
चलो साथ में खिलते है,
दिन में रोज उजाला है,
पर अंधकार में रतियाँ क्यों,
इतने ऊंचे ऊंचे पर्वत,
इतनी नीची नदिया क्यों.....
तुमको वन उपवन समझूं 
खुद को बारिश की बूंदे
इतना प्रेम समर्पण है,
फिर गहराई में क्यों कूदे 
सारे वृक्ष बुजुर्गो ने,
हिल-हिल कर सहमति दे डाला,
सबने सहज रूप स्वीकार किया,
फिर पीछे इतनी बतिया क्यों
इतने ऊंचे ऊंचे पर्वत,
इतनी नीची नदिया क्यों...

©अनुज 
  #wallpaper
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अनुज

White तारे गिन कर रात बिताना अच्छा है,
जैसे हो हालात बिताना अच्छा है,
कौन बनेगा जाने किसकी परछाईं 
जीवन अपने साथ बिताना अच्छा है,

बिन छत के बरसात बिताना अच्छा है,
प्यार में अपना ताना बाना अच्छा है,
वैसे तो परहेज मुझे सबसे घर में,
पर तेरा घर में आना जाना अच्छा है,

©अनुज #love_shayari
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अनुज

White मैं सिमट कर प्रेम में, गुमनाम हो जाऊं,
तू मेरा और मैं तेरा आयाम हो जाऊं,
टूटकर चाहे मुझे गर कोई मीरा तो,
मैं राधा का कन्हैया और सीता राम हो जाऊं।

©अनुज 
  #love_shayari
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अनुज

White  कैसे ज्यों के त्यों रहे,
प्रेम को कैसे करे परिभाषित,
कैसे बिन आलिंगन,
प्रेम को रखें मर्यादित 
हां, मैं स्पष्टता को
प्रमाणित करना चाहता हूं,
परन्तु, बिना शब्दों के अनुवादित
कोई छद्म और बिना भेद भाव,
जहां सिर्फ प्रेम हो, और
हो शब्दों का आभाव,
जहां समझ सके सिकुड़न,
माथे की हम,
और अंतर्मन के पीड़ा को,
मिल जाए थोड़ा ठहराव,
हां! अगर किंचित मात्र भी,
मन सकुचा जाए,
या फिर की कोई और,
हृदयतल में घर कर जाए,
निरुत्तर, सांझ न होने देना,
अपने नयनों को,
अश्रु मगन होने देना,
बस इतना ही हो,
कि मैं अपना आधार बदल दूंगा,
लिखे पृष्ठ प्रेम सहित,
श्रृंगार बदल दूंगा,
कहे वचन को फिर न,
मैं धूमिल होने दूंगा,
हे प्रियशी! बीज प्रेम के,
मन में, फिर न बोने दूंगा,
न ही स्वयं को मैं,
तुम पर होने दूंगा आश्रित,
न मन में प्रश्न एक भी,
न तुमको खुद पर 
होने दूंगा आच्छादित,
चलो रहे ज्यों के त्यों,
और करे प्रेम को परिभाषित।

©अनुज #love_shayari 
  Pushpvritiya RAVISHANKAR PAL Divya Joshi Sudha Tripathi Rekha💕Sharma "मंजुलाहृदय"

#love_shayari Pushpvritiya RAVISHANKAR PAL Divya Joshi Sudha Tripathi Rekha💕Sharma "मंजुलाहृदय" #Poetry

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अनुज

फिर तुम्हारी बातें और मुलाकातें
चलो आगे बढ़ते हैं....
आंसू आंखों में है, ऊपर से बरसातें
चलो आगे बढ़ते हैं....
आखिर कब तक छिपकर तुमसे 
यूं मिलना हो पायेगा
कोई  देख न‌ ले आते जाते
चलो आगे बढ़ते हैं....

©अनुज 
  #Remember #nojohindi
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अनुज

हर चेहरे का वो नूर जमीं पर रह गया
सारे मन का फितूर जमीं पर रह गया
जो कहते थे मिला देंगे खाक में तुझको
जलकर वो गुरूर जमीं पर रह गया

आसमा से बहुत दूर जमीं पर रह गया
बिन पर के एक मजबूर जमीं पर रह गया
जिनके तेवर थे शैलाबो से बगावत वाले
शीशे सा चुकनाचूर जमीं पर रह गया

मेरे दिल का नासूर जमीं पर रह गया
वो हुस्न का शुरूर जमीं पर रह गया
नफरतो के ढेर पर वो पा गया मुकाम
मोहब्बत में बेकसूर जमीं पर रह गया

©अनुज 
  #nojohindi
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अनुज

हिमाकत जुगनुओं के जैसे जरा सी की गई

अंधेरों में, उजालों की तलाशी ली गई

जहां तहां बिखरी, दम तोड़ती खुशियां

इस कदर, उधार कुछ उदासी ली गई

©अनुज #nojohindi #Poet
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अनुज

जीवन और मृत्यु के मध्य एक पल

कभी सफल !!

कभी असफल !!

©अनुज
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अनुज

कैसा है परिवार आजकल
कैसे बहू और बेटे....


(कृपया अनुशीर्षक पढ़ें)

©अनुज कैसा है परिवार आजकल
कैसे बहू और बेटे
सास ससुर उपहास बने
इज्जत स्वयं समेटे...
बेटा बाप के आंगन‌ में
उनको इक कोना देता है
जिनके महलों में राज किया
उनको फटा बिछौना देता है

कैसा है परिवार आजकल कैसे बहू और बेटे सास ससुर उपहास बने इज्जत स्वयं समेटे... बेटा बाप के आंगन‌ में उनको इक कोना देता है जिनके महलों में राज किया उनको फटा बिछौना देता है #Poetry #Reality #Hindi #poem #bittertruth

75f60300d54b120a7c5d84cfede66492

अनुज

मुश्किल है सफर...
(कृपया अनुशीर्षक पढ़ें)

©अनुज मुश्किल है सफर लेकिन
नामुमकिन तो नहीं,
डगर कोई भी हो लेकिन
कांटों के बिन तो नहीं
छोड़कर सर्वस्व अपना
एक दांव खेला जाए,
भीड़ से हटकर कोई,
कहीं तो अकेला जाए,

मुश्किल है सफर लेकिन नामुमकिन तो नहीं, डगर कोई भी हो लेकिन कांटों के बिन तो नहीं छोड़कर सर्वस्व अपना एक दांव खेला जाए, भीड़ से हटकर कोई, कहीं तो अकेला जाए, #Poetry #Drown

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