नहीं चाय पर कोई खयाल नहीं है,
चाय के बारे में कुछ नहीं कहना।
वो तो बनी-बनाई मिल जाती है, पी
लेते हैं। स्वाद लगती है, पी लेते हैं।
वो चाय वाला इतनी देर लगाता है कि चाय पती
का रंग और अदरक-इलायची का ज़ायका
पूरी तरह से निखरे। इतनी बार
उबाल लेकर आता हैं। उबलती चाय अपने #Poetry#eveningtea#Narwal