सपने में एक धूंदला सा
चेहरा दुर नजर आता है,
पास जाने की कोशिश में
हर रोज सवेरा हो जाता है।
पुरी रात और आधा सपना
धुंदला धुंदलासा कोइ लगे अपना,
सपनों की मुरत धुंदली ही सही
ना जाने हकिकत में वो है की नहीं। #सपनों मे #कविता
सुनिल चंचलवाड
किसी के दुर जाने से
उतनी तकलीफ नहीं होती,
जीतनी किसी के लौट के
ना आने से होती है । #Hindi#शायरी#दुरीया
चुम लुंगा हसते हसते
तेरी सारी मुश्किलों को
में अपना मानकर..
तु चाहें कैसी भी हो
हो तो तुम जिंदगी मेरी.. #शायरी
सुनिल चंचलवाड
मला तिला एकदा शेवटच भेटायचय
तिचा गोड चेहरा मनभरुन पाहायचय
तिच्या डोळ्यांत कुठं तरी माझं प्रेम
दिसतंय का हे पुन्हा निरखून बघायचय
तिच्या स्पर्शाची उब माझ्या आयुष्यातील
गारवा कमी करतेय कि नाही ते पहायचय #poem