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niranjanjha3624
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Niranjan Jha

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Niranjan Jha

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Niranjan Jha

होली【फागक बटगमनी】मैथिली भाषा में
◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆

पिया कठोर कोना भेल     सजनी गे।
फागल-फाग नोर देल      सजनी गे।।

सोलहों श्रींगार करि  महल में बैसल।
कोरे वसन मोर रहि   गेल  सजनी गे।।

कखन भेलहुँ अध वयस  नहि बूझल।
कंचुकी पट     भीज गेल  सजनी  गे।।

बेली -चमेली फुलालयल   चहुँ कोना।
महक हिया के कँपा   देल सजनी गे।।

घोरल रंग घट भरल        पड़ल अछि।
पिया के बाट सुन        भेल सजनी गे।।

कोन कसूरे मोरा        नैहर में छोड़लहुँ।
उफनैत मदन सुइत        गेल सजनी गे।।

निरंजन झा #directions
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Niranjan Jha

ये देश है छत्रपति शिवाजी का।
देश पे   जोे हुए बलिदानी का।।
रहेगी देश सदा ही ऋणी उनके।
है कृतज्ञ सतत ही बलिदानी का।।

निरंजन झा #shivajimaharaj
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Niranjan Jha

प्यासा-प्रेम
*********************
ओस की बूंदें
यूँ भिगोते पत्ते
धरा रही प्यासी
अम्बर साफा फाही।
तृष्णा धर ले बैठी
कबसे हलक में,
नयन चार हुई
पर मिलन की प्यास,
कर्म-प्रेम की दो
पाटन के बीच
दलते चाहत के दाने।
मीठे नदी जलधार 
बहती कलकल,
सागर मिलन की
चाहत में लोट पोट,
पर खाड़े पन ने तोड़ा
उस प्रेम सुधा के प्याले।
नीला आकाश 
टिमटिमाते तारे
जैसे आग की चिंगारियाँ
हृदय को दग्ध कर
अन्तः तपिश सुलगाते।
पथिक की कदम पर
कान को साधे
पदचाप सुने प्रेम का
जो मधुर प्रेम से गुंजित।
पर बैठी रही लेकर
सूखी अधर अतृप्त
प्यासी रही अब
ओस बूंद भी न पाये।।
"©™ निरजंन झा
मिति---२८ / ०७ / २०२०

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Niranjan Jha

Expression Depression  यादें
यादों की रिमझिम बारिश, 
अपनी तन्हाइयों में होती ...
बदरा छाई घनघोर घटा बन
अंग अंग भिंगोये जिया जराए
मैं होने को आतुर पिया सँग तेरे
उर कम्पन्न करत हहरत निशि रैन
चाँदनी रातें भी खूब रुलाती है...
चँदनी रात थी जब सर  तेरी गोद
में रखकर सुकून से सोई थी मैं...
अब तो तन्हाईयाँ के झूले सिर्फ
यादें झूलती है, एक उच्छाहवास...

निरंजन झा #expression
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Niranjan Jha

आँसू
-----------------------------
देख वीर की शहादत
नयन आँसू छलकाए।
गर्व भी है और दर्प भी
पर नई दिशा दिखाए।। नयन .....

हर बात की उस बात पर 
मन को हराए छलकाए।
व्यथित हृदयंगम से अब
भर भर  अश्रु टपकाए।।नयन.....

प्रेम प्रांजल के वीथिका
होकर नग्न नृत्य नचाए।
टुकड़े-टुकड़े को जोड़कर
निर्माण नीर बस छिटकाये।।नयन..

नेह गेह सँग   बिरहिन 
सिसक सिसक कर रोए।
बिरह पीड़ से सालत है
अन्तस् आँसू  बहाए।।नयन..

     💐निरंजन झा💐

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Niranjan Jha

आँसू
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देख वीर की शहादत
नयन आँसू छलकाए।
गर्व भी है और दर्प भी
पर नई दिशा दिखाए।। नयन .....

हर बात की उस बात पर 
मन को हराए छलकाए।
व्यथित हृदयंगम से अब
भर भर  अश्रु टपकाए।।नयन.....

प्रेम प्रांजल के वीथिका
होकर नग्न नृत्य नचाए।
टुकड़े-टुकड़े को जोड़कर
निर्माण नीर बस छिटकाये।।नयन..

नेह गेह सँग   बिरहिन 
सिसक सिसक कर रोए।
बिरह पीड़ से सालत है
अन्तस् आँसू  बहाए।।नयन..

     💐निरंजन झा💐

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Niranjan Jha

यमदण्ड
**************************************
लाख बनो आतताई,     यमदण्ड से न रिहाई।
बड़े बड़े सूरमाओं की, बची न कोई निशानी।।
नारायणी धाम को त्याग, करत रहे वो ढिठाई।।
कोई खंडहर के खंड न होंगे,धूल होंगे निशानी।।

रावण, कंश, जरा दुर्योधन, रहे न भोगन  हारी।
मण्डित घमण्ड पलित भये, बचे वंश कुल्हाड़ी।।
अब तो मानव मानव को खाए, बने रहे निर्मोही।
काल के दण्ड के मार से, कोई आवाज न आई।।

सत्य नाम से डरते पापी, यमलोक में जो जानी।
अपने मरते, सकल कुल जारे, सद राह न बनाई।।
यमदण्ड को जाने नर ,फिर भी बनत अभिमानी
हृदय की बात जो तुम सुनले,जीवन सफल कराई।।

                     "~~~~~© निरंजन झा यमदण्ड ( कविता )

यमदण्ड ( कविता )

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Niranjan Jha

सचिव बैद गुरु तीनि जौं प्रिय बोलहिं भय आस | राज धर्म तन तीनि कर होइ बेगिहीं नास || अर्थ : गोस्वामीजी कहते हैं कि मंत्री, वैद्य और गुरु —ये तीन यदि भय या लाभ की आशा से (हित की बात न कहकर ) प्रिय बोलते हैं तो (क्रमशः ) राज्य,शरीर एवं धर्म – इन तीन का शीघ्र ही नाश हो जाता है | निरंजन झा

सचिव बैद गुरु तीनि जौं प्रिय बोलहिं भय आस | राज धर्म तन तीनि कर होइ बेगिहीं नास || अर्थ : गोस्वामीजी कहते हैं कि मंत्री, वैद्य और गुरु —ये तीन यदि भय या लाभ की आशा से (हित की बात न कहकर ) प्रिय बोलते हैं तो (क्रमशः ) राज्य,शरीर एवं धर्म – इन तीन का शीघ्र ही नाश हो जाता है | निरंजन झा

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Niranjan Jha

मईया के करियौ श्रृंगार
श्रृंगार हे!सखिया, 
मईया करियौ श्रृंगार।।
अछिजल सँ हुनक पैर पखारु।
दूध सँ करियौ स्नान,
स्नान हे!सखिया 
मईया करियौ श्रृंगार।।
लाल वसन हुनका यतन सँ ओढाबू।
मांग सेनुर भरू लाल
लाल हे! सखिया 
मईया करियौ श्रृंगार।।
अक्षत-चानन, आरो गंगा जल
अड़हुल, दुईब बेलपात
बेलपात हे! सखिया
मईया करियौ श्रृंगार।
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