कभी अभिमान तो कभी स्वाभिमान है पिता
कभी धरती तो कभी आसमान है पिता
जनम दिया है गर माँ ने
जानेगा जिससे जग वो पहचान है पिता
कभी काँधे पे बिठाकर मेला दिखाता है पिता
कभी बनके घोडा घुमाता है पिता
माँ अगर पैरो से चलना सिखाती है
Arvind Saxena
न बुझा तू बत्तियां,
न जला तू मोमबत्तियां
झांक अपने अंदर एक बार,
देख कहाँ हैं गलतियां...
कहाँ गए चीर बढ़ाने वाले भगवान्,
कहाँ गए अस्मत बचाने वाले कृष्ण महान
रोज रोज होते चीर हरण से,