हुई जब आज़माइश़ बेक़रारों की।
मिटा दी दूरियां दोनों किनारों की।
ज़ुनूं की आग का मत पूछिए आलम
सजा दी महफ़िलें कितनी सितारों की।
✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻 रतन सिंह चंपावत
#dilkideharise
Ratan Singh Champawat
नहीं डर अब चरागों को बुझाने से।
मिली है रोशनी खुद को जलाने से।
लहू में आग की जिसके रवानी है।
उसी के नाम पे सारी कहानी है।
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रतन सिंह चंपावत
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Ratan Singh Champawat
मनवा सुन ले मौन हो,नीरवता का नाद।
जीवन से मिट जाएगा, अनचाहा अवसाद
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*रतन सिंह चांपावत कृत*
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