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kaviadityashukla9731
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Kavi Aditya Shukla

मैं एहसासों को ज़ुबान देता हूं 💭 सभ्यता, शालीनता, स्वाभिमान शिवाजी तनय :-आदित्य जनेऊधारी 🕉️ Poet🎙️, Ferroequinologist🚆,Parnassian💭 07/07 अपनी ताईद पे ख़ुद अक़्ल भी हैरान हुई दिल ने ऐसे मिरे ख़्वाबों की हिमायत की है। IG- @aditya.shukla.__

https://www.instagram.com/aditya.shukla.__?igsh=MWl4bmtnamQwcW03Mw==

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Kavi Aditya Shukla

White न किसी ख़्वाब न किसी नज़र में हूं 
मैं अपने शौख ,अपने सफ़र में हूं 
मैं हवा के झोकों तले बह रहा ,
मैं दरिया के पागल भंवर में हूं,
मैं रक्श कर रहा हूं चांदनी रातों में ,
मैं मुसाफिरों कि बस्ती उनके शहर में हूं

©Kavi Aditya Shukla #Nojoto #Like #Comment
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Kavi Aditya Shukla

White एक नींद जो मयस्सर नहीं 
 एक ख़्वाब जो बदलता नहीं 
एक रात ढल रही है कबसे
एक सवेरा जो होता नहीं 
एक मैं जो जुनूं की कैद में हूं
एक वो जिसे फर्क पड़ता नहीं...

©Kavi Aditya Shukla #Nojoto #Like #follow
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Kavi Aditya Shukla

White न किसी ख़्वाब न किसी नज़र में हूं 

मैं अपने शौख ,अपने सफ़र में हूं 

मैं हवा के झोकों तले बह रहा ,

मैं दरिया के तेज़ भंवर में हूं,

मैं रक्श कर रहा हूं चांदनी रातों में ,

मैं मुसाफिरों कि बस्ती उनके शहर में हूं....

©Kavi Aditya Shukla #Nojoto
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Kavi Aditya Shukla

White यं हि न व्यथयन्त्येते पुरुषं पुरुषर्षभ । समदुःखसुखं धीरं सोऽ मृतत्वाय कल्पते ॥

©Kavi Aditya Shukla #Krishna
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Kavi Aditya Shukla

White श्री कृष्ण कहते है...

मन को मोहने वाला व्यक्ति ही, मन को मूर्छित भी सबसे अधिक करता है!

©Kavi Aditya Shukla
  #Nojoto
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Kavi Aditya Shukla

#IndependenceDay #Nojoto #Like #Comment #follow
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Kavi Aditya Shukla

White फूलों में, कांटो में 
खेतों में, खलिहानों में,
सूरज कि किरणों में,
इंद्रधनुष के तरंगों में,
आसमां में,चांद सितारों में,
नभ के सभी दिशाओं में,
इतिहासों में और भुगोलों में,
महलों में,खंडहरों में ,
परिस्थितियों में रीस्थितियों में,
हर पल हर एक जर्रे में ख्वाहिशों के कतरे-कतरे में,
                     ||बस खोज रहा हूं||

©Kavi Aditya Shukla
  #Nojoto
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Kavi Aditya Shukla

White की क्या होगा, की क्या होगा..?

जो मैं सोच रहा हूं , जो होगा वह क्या होगा

ये बात मैं अपने अंतर्मन से पूछ रहा हूं।

समझ रहा हूं, देख रह हूं,

खोज रहा हूं
की क्या होगा

©Kavi Aditya Shukla #Nojoto
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Kavi Aditya Shukla

White बैठे-बैठे खोज रहा हूं,
खुद को मैं समझ रहा हूं,
कर्म को अपने देख रहा हूं,
मैं ख़ुद से ये पूछ रहा हूं कि
क्या मैं खोज रहा हूं,
की क्या होगा, की क्या होगा..?

©Kavi Aditya Shukla #Nojoto
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Kavi Aditya Shukla

White समाज के साँचे में ढल नहीं पा रहा दुनिया भाग रही है मैं चल नहीं पा रहा

©Kavi Aditya Shukla #Nojoto
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