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shambhavishivomm4442
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Shambhavi shivom Mishra

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Shambhavi shivom Mishra

किस्मत भी ना जाने क्या चीज़ होती है,
किसी की बुलंद तो किसी की गरीब होती है।
किसी को तो जी भर के हँसाती है,
तो किसी को ताउम्र रुलाती है।
कभी तो लगता है कि मुट्ठी में ही आ गयी है,
तो कभी मुट्ठी की रेत सी फिसलती नजर आती है।  किस्मत  #shambhavishivommishra #kismat

किस्मत #shambhavishivommishra #Kismat

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Shambhavi shivom Mishra

जब तक आप,किसी बात के मर्म को नहीं समझते... तब तक आप को, उस पर टिपणी करने का कोई हक नहीं हैं।अगर आप किसी का,बुरे वक़्त में, साथ नहीं दे सकते, तो आप को, उसके मनोबल को भी,तोड़ने का कोई हक नहीं।समय,- समय पर नियम और वक़्त दोनों बदलतें है।किसी का उपहास उड़ाना वेहद आसान हैं।कहीं न कहीं ये उपहास सिद्ध करता हैं!आप एक नाक़ाम व्यक्ति है!आप उसको दलदल से,निकालने में अक्षम हैं।बड़े से बड़ो का इतिहास गंगा की रेत पर लिखा गया हैं।हमारी औऱ तुम्हारी विसात ही क्या हैं।

जब तक आप,किसी बात के मर्म को नहीं समझते... तब तक आप को, उस पर टिपणी करने का कोई हक नहीं हैं।अगर आप किसी का,बुरे वक़्त में, साथ नहीं दे सकते, तो आप को, उसके मनोबल को भी,तोड़ने का कोई हक नहीं।समय,- समय पर नियम और वक़्त दोनों बदलतें है।किसी का उपहास उड़ाना वेहद आसान हैं।कहीं न कहीं ये उपहास सिद्ध करता हैं!आप एक नाक़ाम व्यक्ति है!आप उसको दलदल से,निकालने में अक्षम हैं।बड़े से बड़ो का इतिहास गंगा की रेत पर लिखा गया हैं।हमारी औऱ तुम्हारी विसात ही क्या हैं।

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Shambhavi shivom Mishra

सब नज़र का खेल है...जब तक दिखाई दे रहे हो,या यूं कहे,कि जब तक आप की गतिविधियां सबकी नज़रों में हैं,तब तक आप ख़ुद को जीवित मान सकते है।हर पहलू को प्रमाणिकता की आवश्यकता होती है।जो प्रामाणिक है वही वैध औऱ चलन में है।और इसके इतर आप की नज़र ने, किसी औऱ पर इनायत की...तो आप की खैर नहीं क्योंकि आप का, चुनाव नियम विरुद्ध हैं। आप की हर पहल नज़र आनी चाहिए। आप का किसी के प्रति प्रेम हो या फ़िर नफ़रत ।इन दोनों, संवेगों को अगर आप प्रदर्शित नही करते।तो इनके होने या न होने से क्या ?जो हो...वो दृश्यात्मक होना चाहिए।तभ

सब नज़र का खेल है...जब तक दिखाई दे रहे हो,या यूं कहे,कि जब तक आप की गतिविधियां सबकी नज़रों में हैं,तब तक आप ख़ुद को जीवित मान सकते है।हर पहलू को प्रमाणिकता की आवश्यकता होती है।जो प्रामाणिक है वही वैध औऱ चलन में है।और इसके इतर आप की नज़र ने, किसी औऱ पर इनायत की...तो आप की खैर नहीं क्योंकि आप का, चुनाव नियम विरुद्ध हैं। आप की हर पहल नज़र आनी चाहिए। आप का किसी के प्रति प्रेम हो या फ़िर नफ़रत ।इन दोनों, संवेगों को अगर आप प्रदर्शित नही करते।तो इनके होने या न होने से क्या ?जो हो...वो दृश्यात्मक होना चाहिए।तभ

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Shambhavi shivom Mishra

https://youtu.be/C6aw9TJlw7A

https://youtu.be/C6aw9TJlw7A #Poetry

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Shambhavi shivom Mishra

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Shambhavi shivom Mishra

क्या बताऊँ क्या है दर्द, 
कदाचित् 
तुम्हारा, मेरा न हो पाना 
ही है दर्द का पर्याय।
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Shambhavi shivom Mishra

जानोगे कीमत तो मेरी उस रोज़ तुम,
जब ढूंढोगे किसी और में मुझे,
पर मेरी रेख भी ना पाओगे।
याद आयेगा तुम्हें मेरा वो लड़ना झगड़ना,
पर चुपचाप ही बैठे रह जाओगे ।
माना कुछ नहीं हूँ आज मैं इस दुनिया में
तुम्हारे लिए,
पर मैं ही तो थी दुनिया तुम्हारी,
एक दिन तुम ये जरूर समझ जाओगे । #you
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Shambhavi shivom Mishra

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