नया साल। यानी नई उम्मीदों, नई आकांक्षाओं का साल. #शायरी
Niraj sahu
उलझनों और कश्मकश में उम्मीद की ढाल लिए बैठा हूँ.. ए जिंदगी! तेरी हर चाल के लिए मैं दो चाल लिए बैठा हूँ . लुत्फ़ उठा रहा हूँ मैं भी आँख – मिचौली का .. मिलेगी कामयाबी हौसला कमाल लिए बैठा हू