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रफीक किशनगढी

रफ़ीक़ मोहम्मद जन्म स्थान:= मदनगंज-किशनगढ़,जिला अजमेर राजस्थान। शिक्षण-संस्थान के , डी जैन हां, सै, स्कूल, ग ,कालिज किशनगढ, पत्राचार पाठ्यक्रम, राजस्थान युनिवर्सिटी जयपुर। राजस्थान। शिक्षा एम .ए.राजनीति विज्ञान , इतिहास ( विशेष रुचि उर्दू , अरबी ) रचना : = नग़मा - ए - रफ़ीक़ । रुचियां : = गीत ,ग़ज़ल ,रुबाई रचना साइकिलिंग सन् 1968 से 2008 तक लगभग 1500000कि.मी. , चित्रकारी , बोर्ड पैंटिंग , वर्जिश व्यायाम आदि।

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रफीक किशनगढी

लम्हा-लम्हा इस ज़िन्दगी से हम उतर आए।
शोहरत की बुलंदियों से हम ज़मीं पर उतर आए।
उतार कर मुझको लहद में ये रफ़ीक़ बोले।
देखलो आज ये आपने असली घर आए। असली घर।

असली घर।

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रफीक किशनगढी

बचपन को आजाद कर के पछता रहें हैं हम।
बचपन तोयाद आ रहा है, क्या बचपन को याद आरहें हैं हम। बचपन की यादें

बचपन की यादें

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रफीक किशनगढी

तोहफ़े में मुझको वो तसव्वुरो-तस्वीर दे गये।
मेरे शिकस्ता ख्वाबों की ताबीर दे गये।
अब तुम्हें तन्हा गुज़ारनी है जिंदगी रफ़ीक़
ये दिलासा मुझें वो होके बग़लगीर दे गये। ग़मे-हिजरां ।

ग़मे-हिजरां । #शायरी

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रफीक किशनगढी

वफ़ा के मारे हुए तुम्ही बताओ कहां जाऐं।
हरीफ़े-वफ़ा हैं जहां जाऐं जिधर जांऐं। शिकस्ता-दिल

शिकस्ता-दिल

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रफीक किशनगढी

खूनी रिश्ते
उन जाहिलों की सोच में बड़ी समझ थी।
रिश्तों की उन मे गहरी झलक थी
लड़ते झगडते थे आपस में लेकिन रफ़ीक़।
दुबारा मिलने की उन में फ़िर भी ललक थी

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रफीक किशनगढी

कसमें-वादे, प्यारो-वफ़ा सब बातें हैं बातों का क्या?
कोई किसी का नहीं हैसब नाते हैं नातों का क्या ? दशहरे पर शुभ कामनाएं।

दशहरे पर शुभ कामनाएं।

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रफीक किशनगढी

हर साल दशहरा का प्रतीक खड़ा कर देते हैं।
रावण की हर बात बढ़ा-चढ़ा कर देते हैं।
राम का तो क़द वही रखते हैं रफ़ीक़।
पर रावण का क़द हर साल बड़ा कर देते हैं। रावण का क़द।

रावण का क़द।

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रफीक किशनगढी

अपनों के लिए कोई शिकायत अच्छी नहीं लगती।
सच्ची भी हो पर ये इनायत अच्छी नहीं लगती।
दिल+फ़य्याज़ी ग़ैरों के लिए करते हो रफ़ीक़।
अपनों के लिए ये शिकायत अच्छी नहीं लगती।

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रफीक किशनगढी

अपनों के लिए कोई शिकायत अच्छी नहीं लगती।
सच्ची भी हो पर ये इनायत अच्छी नहीं लगती।
दिल+फ़य्याज़ी ग़ैरों के लिए करते हो रफ़ीक़।
अपनों के लिए ये शिकायत अच्छी नहीं लगती।

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रफीक किशनगढी

ये लम्बा सूना सफर और ये राह अनजानी।
ग़मों से ज़ख़्मी जिगर और ये दिल की वीरानी।
ग़मों के बोझ तले रूह छटपटाएगी।
करोगे याद तो हर बात याद आएगी।

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