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deepanshu1148
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Deepanshu

मेरी रचनाएं पढ़ लीजिए, आप खुद-ब-खुद मुझे जान जायेंगे.....

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Deepanshu

White पहली बार नजरें मिली थीं हमारी,
मैं काँप रहा था।
लेकिन मैंने अपने शरीर को वश में रखा।
तुम मुस्कुराई,
मेरे हृदय की कपकपी बढ़ती गई,
तभी, तुमने नाम पूछ लिया।
ऐसा लगा,
जैसे अब मेरा हृदय मेरी छाती को चीर देना चाहता है।
मैंने धीरे से नाम कहा।
तब मैंने देखा तुम्हारे माथे की ओर,
और बस देखता रहा,
तुम्हारी उस बिंदिया को।
वो घास के ढेर में उस सुई के समान था
जिसने मेरे हृदय को घायल कर दिया।
शायद ये घायल होना चाहता था।
न जाने क्या,
लेकिन कुछ तो था तुम्हारी उस काली बिंदी में,
जो मुझे तुम्हारी ओर खींच रहा था।
वो बिंदिया बता रही थी,
कि तुम्हे किसी श्रृंगार की ज़रूरत नहीं।
उस बिंदिया से झलकती थी, तुम्हारी "सादगी"।
और तब,
मैंने तुम्हारे माथे को चूमा,
कल्पना में।
मेरे होठों ने तुम्हारी बिंदी का स्पर्श महसूस किया।
ऐसा लगा, जैसे,
मेरे शरीर में प्रेम बह रहा हो।
मैं सुन्न।
ख़ामोश।
पीछे से किसी ने टोका,
मालूम हुआ तुम जा चुकी हो,
और तुम्हारे साथ चला गया मेरे हृदय का चहकना।
रह गई तो तुम्हारे चेहरे की प्रतिमा, मेरी आँखों में,
और उसमे झलकती,
तुम्हारी "बिंदिया"।

©Deepanshu
  #GoodNight  #alone #life #lifequotes #lifelessons #lifequote #lovelife #poem #poetry
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Deepanshu

White बरसात का मौसम था,
मैं छत पर भागा और देखा कि
वो अपने घोसले से बाहर उस लोहे की छड़ी पर बैठी है
जो दीवार से बाहर की ओर झुकती है,
और वो बारिश में भीगती हुई,
धीमी आवाज़ में चहकती है।
सोचा पास जा के देखूँ लेकिन,
वो उड़ गई।
उसका वो गाढ़ा रंग बहुत ख़ास नहीं था,
फिर भी उस छोटे से पक्षी में उत्सुकता थी,
उसकी नहीं, मेरी।
लेकिन न जाने कैसे, ये उत्सुकता खत्म होती रही।
कुछ सालों में।
उस दिन मैंने आकाश में पतंग उड़ते देखा,
मेरे मन की उस उत्सुकता को अब इस पतंग ने अपनी ओर मोहित कर लिया था।
मैं भूल गया, उस गहरे प्राणी को।
मेरे हृदय में अब उन रंग बिरंगे निर्जीवों का वास था।
एक शाम, अपने पतंग की डोर बाँधते हुए मैंने देखा
कि वो जीवित वस्तु उसी लोहे कि छड़ पर बैठी है,
मैं उसे देखता, और वो मुझे।
ऐसा लगा, जैसे वो मुझसे कुछ कहना चाहती है,
मैं आगे बढ़ा,
वो पीछे हटी,
मानो पूछ रही हो, "मुझे अपनी कहानियों में तो रखोगे न?"
मेरी आँखों ने इशारा किया, " हाँ"।
और फिर,
वो उड़ गई।
मैंने उसे ताकता रहा, लेकिन,
वो खो गई,
आकाश में उड़ते उन पतंगों के बीच।
मैं दौड़कर उसके घोसले की ओर गया,
उसी डोर में लिपटा उसका घर तिनका हो चुका था।
शायद वो जा चुकी थी,
हमेशा के लिए।

©Deepanshu
  ✍️🍁......

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Deepanshu

तुम आवाज़ उठाते हो जहाँ पानी का ना अंत है,
तुम्हारी चीख सुनने को उनके दोनों कान बंद है।

तुम पीड़ित हो न? तुम कुछ मत बोलो,
कीचड़ फेंका तुम पर? तुम मुँह धोलो।

तुम जाती हो छोड़कर हमे? अब हम शोक मनाएंगे,
हर पीड़ित को इंसाफ दिलाया है, तुम्हे भी दिलाएंगे।

देरी ही तो हुई है, इंसाफ तो सबको मिला है,
मां को न्याय तब मिला, जब बेटी ने भी झेला है।

उसे सज़ा कहेंगे और तुम्हे कहानी मानकर भुलायेंगे,
देरी के लिए खेद जताकर तुम्हे "देश की बेटी" बताएंगे।

(तुम्हे लड़की होकर लड़की कहलाने से डर लगता है,
आज़ादी है आज लेकिन हमे तिरंगा फहराने से डर लगता है।)

©Deepanshu
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Deepanshu

White उफ़! वो भीगी पलकें उसकी,
जिन्हे मैं आँखें बुझाए देखता हूँ;
मैं देखता हूँ उसके भीगे केश भी,
सब; लोगों से छिपाए देखता हूँ।

मेरी निगाहें उसके होठों पर जाती हैं,
मैं उनमें जीवन का सौन्दर्य देखता हूँ;
मैं निहारता हूँ उसके मटमैले चेहरे को भी,
मैं उसमे मिट्टी सा धैर्य देखता हूँ।

मैंने बंद किए सभी खिड़की - दरवाज़े,
उसकी वो धीमी गुफ्तगू सुनने के लिए;
आधे अँधेरे में, सभी पंखे तक बुझाए,
उसके श्वास की खुशबू सूँघने के लिए।

मैं कान बढ़ाता हूँ उसके हृदय की ओर,
मुझे लगा, ये मेरी जुस्तजू का अंत है;
फिर पर्दा उठता है, और अँधेरा अदृश्य,
कल्पित ये मेरी गुफ्तगू का अंत है।

©Deepanshu
  #love_shayari #alone #life #lifequotes #lifelessons #lifequote #lovelife #poem #poetry #Love
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Deepanshu

White क्यों डरना कब्रिस्तान के मुर्दों से?
मुझे तो ना डर अब "श्मसान" का है,
क्यों खौफ होगा मुझे प्रेतों का?
मुझे तो डर अब "इंसान" का है।

©Deepanshu
   #alone #life #lifequotes #lifelessons #lifequote #lovelife #poem #poetry #Love #SAD
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Deepanshu

जैसे सूर्य जगमगाता है चंदा को अपने आग़ोश से निकलते धूप से,
जैसे तारे टिम टिमाते हैं धरती की छाती से चिपक कर ही,
क्या ऐसी ही किसी रात, उस नदी के किनारे मेरी बाहों को भरोगी तुम?

©Deepanshu जैसे सूर्य जगमगाता है चंदा को अपने आग़ोश से निकलते धूप से,
जैसे तारे टिम टिमाते हैं धरती की छाती से चिपक कर ही,
क्या ऐसे ही किसी रात, उस नदी के किनारे मेरी बाहों को भरोगी तुम?

✍️❤️.....

#alone #life #lifequotes #lifelessons #lifequote #lovelife #poem #poetry #SAD #Love

जैसे सूर्य जगमगाता है चंदा को अपने आग़ोश से निकलते धूप से, जैसे तारे टिम टिमाते हैं धरती की छाती से चिपक कर ही, क्या ऐसे ही किसी रात, उस नदी के किनारे मेरी बाहों को भरोगी तुम? ✍️❤️..... #alone life #lifequotes #lifelessons #lifequote #lovelife #poem poetry #SAD Love

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Deepanshu

White हमने मन ही मन वो महफ़िल जमाया था,
ना नृत्य, ना गान, बस खालीपन पाया था।
कोई कह दो हमारी ओर से उन्हें,
उस दिन हमने आँसुओं का अंबार छिपाया था।

©Deepanshu
  #sad_shayari #alone #life #lifequotes #lifelessons #lifequote #lovelife #poem #poetry #Love
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Deepanshu

White जब गले से निवाले गिराने नहीं है,
तो कंकड़ से चावल चुनते क्यों हैं?
जब चीर ही देना है अंत में उन्हें,
तो प्रेम से कपड़े बुनते क्यों हैं?

जब फ़ेक ही देना है दिल से उन्हें,
तो इनमें - उनमें ढलते क्यों हैं?
जब छोड़ ही देना है कहीं दूर उन्हें,
तो कदम-ओ-कदम चलते क्यों हैं?

अगर त्याग की भावना जानते नही हैं,
तो ये ढोंगी भेस बदलते क्यों हैं?
जब मिलकर चलना जानते नहीं हैं,
तो गिरकर फिर यूं संभलते क्यों हैं?

जब उनसे छलावा करना ही है,
तो उन्हें दाहिना हाथ कहते क्यों हैं?
जब आँखों में सागर भरना नहीं है,
तो एक मियान में साथ रहते क्यों हैं?

जब आप ही मृत्यु संजो लिया है,
तो किस्मत पर अपने खींजते क्यों हैं?
जब जलते रहे उनकी ऊंचाई देखकर,
तो अब इस मोड़ पर आकर पसीजते क्यों हैं?

©Deepanshu
   #alone #life #lifequotes #lifelessons #lifequote #lovelife #poem #poetry #true #Truth
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Deepanshu

#SaferMotherHoodDay कहीं आधी रात को गूँज उठी किलकारी,
और आँखों से बह गई अश्रुधारा;
उन आँसुओं में भरा था मातृप्रेम,
उस स्नेह से उत्पन्न हुआ एक शिशु प्यारा।

वो अब भूख को अपनाना सीखेगी,
उस शिशु के लिए तो यही ज़रूरी है;
कहीं जल ना उठे उस बच्चे की आत्मा,
इसलिए उस माँ का तपना ज़रूरी है।

वो बच्चा अब चलना चाहता है,
सो माँ ने उसके पैरों तले फूल दिए;
वो जिस पथ पर पग बढ़ाता है,
माँ ने उस पथ के सभी शूल लिए।

उसने परिपक्वता की पराकाष्ठा देख ली अब,
वो खुश है, भले ही स्वप्नहीन सही;
वो बच्चा अब युवक हो चला है,
माँ तो उसी के सपनों में लीन सही।

अभी उस माँ का कार्य बाकी है,
अपनी कोख को मजबूत बनाना है;
वो युवक चला जब संसार बसाने,
तब ये सूर्य चंद्रमा उसके इंतज़ार में बिताना है।

युवक लौटा तो खिलखिलाया हुआ था,
आखिर अपने ख्वाबों को सच कर लौटा है;
उस माँ को देखकर हैरान रह गया,
जिस देवी का वो बेटा है।

वो कोमल हर्षित देह, जिसे वो जानता था,
वो शरीर अब शाम में ढलने को है;
उसकी आत्मा मुस्काती है, (अपने बच्चे को देखकर)
और अब वो देह सामने जलने को है।

उस शक्ति का कार्य संपन्न हुआ,
जिसने त्याग में बिताया जीवन सारा;
वो बच्चा जब रखता है उसे अग्नि के गर्भ में,
तब उसके आँखों से बह गई, "अश्रुधारा"।

©Deepanshu
   #alone #life #lifequotes #lifelessons #lifequote #lovelife #poem #poetry #Mother #motherlove
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Deepanshu

जानते हो उस व्यक्ति को, जिसके आँखों के नीचे निशान है?
वो आँखें दबी हैं उसके सपनों के बोझ से, उन नैनों में, थकान है।

वो रोज़ भागता है उन सपनों को सच करने के लिए,
लेकिन अब लगता है उसका शरीर चूर है, उसके शरीर में, थकान है।

वो ऊपर से नीचे तक लथपथ है, अपने पसीने की बूंद से,
भोर तो निकला था कंधे उठाकर, लेकिन अब उन कंधों में, थकान है।

अपने जीवन को कोसता वो फिर ठोकर खाकर लौटा है,
उसे उजाले में भी अब अंधकार दिखता है, उसकी उम्मीदों में, थकान है।

प्रेम भी पाया उसने जीवन में जिसके लिए वो परेशान है,
उस प्रेम को पूरा करने को भी, उसके हृदय में, थकान है।

ना जाने क्यों उसे अपने आप से अब तकलीफ़ होती है,
शायद अपनी बेकारी पर माथा पीटता है, उसके मस्तिष्क में, थकान है।

इस भगदड़ से परेशान वो ठहराव की इच्छा रखता है,
उसका मन बेचैन है, उसकी हर साँस में, थकान है।

एक पल को सब भुलाकर वो बस "शून्य" को तड़पता है,
खालीपन में बैठा वो बस आत्मचिंतन को तरसता है।

©Deepanshu
  #Life #alone #lifestyle  #lifequotes #lifelessons #lifequote #lovelife #poem #Poetry  #Dark
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