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rajkumarkhare4134
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rajkumar khare

मैं अतिवादी हु , जेसे प्रेम अतिवादी होता है ! Fb - rajkumar khare Insta - rajkumarkhare348

https://youtu.be/np7aVDugMCA

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rajkumar khare

में डरने लगा हूँ ,
उस मंजर से ,
उस खंजर से
मेरे अंदर,जो चल रहा है,उस बवंडर से 

में डरने लगा हूँ 
उस आखिरी रात से ,मुलाकात से
तेरी पागलों जैसी आदतों से 
तुझसे अलग होने के एक एहसास से 
तुम्हारे आसुंओं का ,
मेरे गाल को छू जाने  से 

में डरने लगा हूँ..........


खरे "असरार"

©rajkumar khare

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rajkumar khare

#FortunateStories
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rajkumar khare

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rajkumar khare

वो थका हुआ मेरी बाहों में ज़रा सो गया था तो क्या हुआ
अभी मैं ने देखा है चाँद भी किसी शाख़-ए-गुल पे झुका हुआ

जिसे ले गई है अभी हवा वो वरक़ था दिल की किताब का
कहीं आँसुओं से मिटा हुआ कहीं आँसुओं से लिखा हुआ

कई मील रेत को काट कर कोई मौज फूल खिला गई
कोई पेड़ प्यास से मर रहा है नदी के पास खड़ा हुआ

मुझे हादसों ने सजा सजा के बहुत हसीन बना दिया
मेरा दिल भी जैसे दुल्हन का हाथ हो मेहन्दियों से रचा हुआ

वही ख़त के जिस पे जगह जगह दो महकते होंठों के चाँद थे
किसी भूले-बिसरे से ताक़ पर तह-ए-गर्द होगा दबा हुआ

वही शहर है वही रास्ते वही घर है और वही लान भी
मगर उस दरीचे से पूछना वो दरख़त अनार का क्या हुआ

मेरे साथ जुगनू है हमसफ़र मगर इस शरर की बिसात क्या
ये चराग़ कोई चराग़ है न जला हुआ न बुझा हुआ

~ वो थका हुआ मेरी बाहों में ज़रा / बशीर बद्र - बशीर बद्र



#subah-e-banaras#

©Rajkumar Khare #lotus
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rajkumar khare

भीतर जो शून्य है
उसका एक जबड़ा है
जबड़े में मांस काट खाने के दाँत हैं;
उनको खा जाएँगे,
तुमको खा जाएँगे।
भीतर का आदतन क्रोधी अभाव वह
हमारा स्वभाव है,
जबड़े की भीतरी अँधेरी खाई में
खून का तालाब है।
ऐसा वह शून्य है
एकदम काला है, बर्बर है, नग्न है
विहीन है, न्यून है
अपने में मग्न है।
उसको मैं उत्तेजित
शब्दों और कार्यों से
बिखेरता रहता हूँ
बाँटता फिरता हूँ।
मेरा जो रास्ता काटने आते हैं,
मुझसे मिले घावों में
वही शून्य पाते हैं ।
उसे बढ़ाते हैं, फैलाते हैं,
और-और लोगों में बाँटते बिखेरते,
शून्यों की संतानें उभारते।
बहुत टिकाऊ है,
शून्य उपजाऊ है।
जगह-जगह करवत, कटार और दर्रात,
उगाता-बढ़ाता है
मांस काट खाने के दाँत।
इसी लिए जहाँ देखो वहाँ
खूब मच रही है, खूब ठन रही है,
मौत अब नए-नए बच्चे जन रही है।
जगह-जगह दाँतदार भूल,
हथियार-बंद गलती है,
जिन्हें देख, दुनिया हाथ मलती हुई चलती है।
"मुक्तिबोध"

©Rajkumar Khare #stay_home_stay_safe
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rajkumar khare

न था कुछ तो ख़ुदा था, कुछ न होता तो ख़ुदा होता
डुबोया मुझको होने ने, न होता मैं तो क्या होता!

हुआ जब ग़म से यूँ बेहिस, तो ग़म क्या सर के कटने का ?
न होता गर जुदा तन से, तो ज़ानू पर धरा होता

©Rajkumar Khare #SuperBloodMoon
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rajkumar khare

में जाना चाहता हूँ,
इस शहर से ,
किसी दूसरे शहर में ,
जंहा में तुम्हारी 
अनुपस्थिति में
खोया रहूं ,
तुम्हारी यादों में 
जंहा में चांद को
देखता रहूं रात-भर 
जैसे में ,
तुम्हे देखता था रात-भर। 

                               खरे (असरार )

©Rajkumar Khare #alone
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rajkumar khare

एक दिन डूब जायंगे ख़ाब ,
इस गहरे से समंदर में ,
तुम समंदर हो जाना ,
में ख़ाब हो जाऊंगा!!

"असरार"

©Rajkumar Khare #gaon
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rajkumar khare

में जाना चाहता हूँ,
इस शहर से ,
किसी दूसरे शहर में ,
जंहा में तुम्हारी 
अनुपस्थिति में
खोया रहूं ,
तुम्हारी यादों में 
जंहा में चांद को
देखता रहूं सारी रात-भर 
जैसे में ,
तुम्हे देखता था रात-भर।

©Rajkumar Khare #nojotihindi 
#Love 
#lightindark
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rajkumar khare

उन तारों की छांव 
सारा शहर सोया था
इक वो बेदार थी
इक में बेदार था
शब्दों से शब्दों की 
टकराहट हुई 
कुछ कहानियों की 
कहानियों से मुलाक़ात हुई 
ओर उस अंधेरे ने
सूरज की रोशनी से मुलाक़ात की 
इक वो बेदार थी 
इक में बेदार था।

       

        "असरार" #Believe
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