#sunlight 💟मेरा यह Account अब काम नहीं करता।
आप चाहें तो मुझे Instagram पर contact कर सकते हैं🙏
I'm on Instagram as @poet_arsh https://www.instagram.com/invites/contact/?i=1527ky9s8lio2&utm_content=23czjnf
varsha ✍️ Varsha Singh Baghel(शिल्पी) aman6.1 indira Dia
111R
डैडी
क्यों मेरी लाड़ो, पापा से छादी क्यों नहीं कलनी?
मुदे नई पता, आप बहोत दंदे हो पापा, पिथली बाल तहा था तौफी लेने दा लहा हूँ, इत्ते दिन लद दये तौफी लाने में? मुदे आपथे बात ही नई तरनी आप दाओ पापा, मुदे आपथे तोई बात नई तलनी!
औल मेली बीदीओ त्यों बना लहे हो.....
*
अरे हो गया दीपू, कितना रोयेगी, बंद कर ये वीडियो, और जाकर ज़रा देख तो कि बनवारी अभी तक फूल लेकर लौटा क्यों नहीं, इसको तो बस बहाना चाहिए रफ़ूचक्कर होने का। #story#Arsh
अंधेरे के लिए प्रयास नहीं करने होतें
यह शाश्वत है,
शुरू से है और अंत के बाद भी रहेगा।
जबकि प्रकाश जो हमें अंधकार के विरुद्ध लड़ता प्रतीत होता है, वह भी इससे अलग नहीं,
प्रकाश का अस्तित्व ही अंधकार पर टिका है
कभी-कभी सोंचता हूँ कि
जब तम ही तमाम है, फिर हम ईश्वर को प्रकाश से जोड़कर क्यों देखते हैं, तब महसूस करता हूँ कि तम क्रियाशील नहीं होता, इसमें शिथिलता है अक्रियाशीलता है।
इसमें गति नहीं तो जीवन भी नहीं, अर्थात जीवन की परिभाषा गति में निहित है, जो गतिशील है वही जीवित है। अक्रियाशीलता के प्रति अपने #Science#Mythology#thought#Arsh
Arsh
मेरे प्यारे दोस्तों
अमूमन हमसभी की ये कॉमन आदत होती है कि हम किसी रचना को बिना पढ़े, बिना सुने लाइक्स/कमेंट करके, आगे दूसरे किसी पोस्ट पर बढ़ चलते हैं, इसके पीछे का मनोविज्ञान कारण यह हो सकता है कि हमारी सोंच होती है कि हम जितने ज़्यादा लोगों की posts पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराएंगे, हमारी पहुँच उतनी ज़्यादा होगी। जिससे हम ज़्यादा से ज़्यादा likes, खुद के लिए बटोर पाएंगे।"
पर, क्या यह सोंच सही है? नहीं, बिल्कुल भी नहीं! जबतक हमारी कलम में धार नहीं होगी, हमारी लेखन शैली पॉलिस नहीं होगी हम स्वर्ण से चमक #TalkOnline
Arsh
रचना - अंकुर
विधा- दृश्य-काव्य
रचना- अर्श
तिथि- 30-मार्च-2020
🎊🎊🎊🎊🎊🎊🎊🎊
पहली बार जाना जब उसको
उम्र 14के पास की थी #Arsh