Late post #FathersDay A poem dedicated to my father, and to all the fathers in the world the most unsung heros of world.
रूखा हैं, रूठा हैं, हर बात पे चिढ़ा हैं, हां वो मेरा पिता हैं,
ना जाने किस बात का था गुमाँ उसको,
हर छोटी बात पे तना हैं,
हां वो मेरा पिता हैं,
दीवाली के दिनों में पटाखों से ज़्यादा हम पैं वो फटा हैं।
हां वो मेरा पिता हैं,