कैसे करूँ मैं साबित कि वो याद बहुत आते हैं.!
एहसास वो समझते नहीं, अदाएं हमें आती नहीं.!
गर हो सके तो फासलों को मिटा कर देखना,
फूल हूँ पत्थर नहीं कभी पास आ कर देखना.!
वो बहुत बदनाम है सबने कहा तुमने सुना,
इतना कहना है कभी खुद आजमा कर देखना.!!
कैसे करूँ मैं साबित कि वो याद बहुत आते हैं.!
एहसास वो समझते नहीं, अदाएं हमें आती नहीं.!
गर हो सके तो फासलों को मिटा कर देखना,
फूल हूँ पत्थर नहीं कभी पास आ कर देखना.!
वो बहुत बदनाम है सबने कहा तुमने सुना,
इतना कहना है कभी खुद आजमा कर देखना.!!
Nitish D Kumar Bharti
Satyaprem Mukesh Poonia Sonakshiकॉफीकास्वाद निहारिका सिंह Bharat Sen
Nitish D Kumar Bharti
अलग बैठे थे फिर भी आँख साक़ी की पड़ी हम पर
अगर है तिश्नगी कामिल तो पैमाने भी आएँगे