तुमने देखा ही नहीं, पेड़ से पत्तों का गिरना,
सम्भल,ये पतझड़ तुझे भी काट कर गुजरेगा
13 सितंबर को हिजाब न पहनने की वजह से महसा अमीनी को मॉरल पुलिस ने हिरासत में लिया था। तीन दिन बाद यानी 16 सितंबर उनका शव परिवार को मिला। तब से 50 से ज्यादा शहरों में सरकार विरोधी हिंसक प्रदर्शन हो रहे हैं। हर शहर में महिलाएं मॉरल पुलिसिंग और हिजाब कानून के खिलाफ सड़कों पर उतर रही हैं। न तो वो हिजाब पहनने को तैयार हैं, न बाल ढकने को तैयार हैं और न ढीले ड्रेस पहनने का फरमान मानने को तैयार हैं।
ईरान में हिजाब विरोधी
Swatantra Yadav
कोई किसान अपने खेत में हल चला रहा था। बरसात के बाद का मौसम था ,हल के पीछे जमीन से बहुत से कीड़े मकोड़े निकल रहे थे....
उन कीड़े मकोड़ों को खाने के लिए कई पक्षी झपट रहे थे।
इससे बार बार किसान की एकाग्रता भंग हो रही थी। उसमें बैलों को हांकने के लिए अपने हाथ मे पकड़ा सांटा ( हंटर ) जिसमें चमड़े की तनिया बंधी होती हैं अपने पीछे को घुमा दिया। उससे एक नीलकंठ मर गया।
किसान को बड़ा अफसोस हुआ । उसे याद आया कि किसी ने कहा था कि दशहरे के दिन अगर नीलकंठ दिख जाय तो बड़ा शुभ होता है और आज इत्तफाक से दशहरा ही है।
Swatantra Yadav
कुछ नशा तेरी बात का है
कुछ नशा धीमी बरसात का है,
हमे तू यूं ही पागल मत समझ
दिल पर असर होने वाली मुलाकात का है।
ख़ुद को इतना भी न बचाया कर,
बारिश हुआ करे तो भीग जाया कर।
मौसम-ए-इश्क़ है तू एक कहानी बन के आ,
मेरे रूह को भिगो दें जो तू वो पानी बन के आ।
वो चाहती है हर फैसला बस उस के ही हक़ में हो!
मसकिनों पे दबाव रहे,गुस्ताख़ की कोई सरहद ना हो!!
मेरे उसूल मेरे वजूद को मैं नकार दूं उसकी सुनूं बस!
हदें समेट लूं मैं हदों में,उसके दायरों की कोई हद ना हो!!