चलो इश्क़ में मेरे कुछ तो सिलसिला जारी है
खत लिखे या वो फाड़े दर्द का सिला जारी है
आवारा अभिषेक
जय हिंद
आवारा अभिषेक
रूह के रिश्तों की ये गहराइयाँ तो देखिये,
चोट लगती है हमें और चिल्लाती है माँ,
चाहे हम खुशियों में माँ को भूल जायें दोस्तों,
जब मुसीबत सर पे आ जाए, तो याद आती है माँ।