......एक सम्भावना ही हूँ.... न तो इससे ज्यादा चाहा है न तो इससे ज्यादा कुछ है....सम्भावना इसलिए कि इसमें असीम होने का एहसास है.....बस बात इतनी सी ही है।
"मैं आज़ाद बचपन हूँ".........मेरे दोस्तों बचपन तक लौट पाना आसान नहीं पर एक असफल प्रयास के रूप में मेरी कलम का सफर जो बचपन की तरफ था.....आप तकhappychildren'sday