एक समंदर से कहा प्यास बुझा दे मेरी
सच ही बे-उम्मीद जो चाहा हमने
कोई गर चाहे भी कैसे टूट पाएगा
टूटकर जितना है चाहा हमने
saurabh
saurabh
saurabh
कोई जीवन लिखे धरा पर माया को आकाश समझ कर
हमने हरमन पड़ा सदा ही मधुसूदन का वास समझकर
हमने जिसको गले लगाया मन अंतस के पास समझकर
हमने सारे भेद बताएं जिसको अपना खास समझकर
उसने अब किरदार बदल कर फिर से नई कहानी लिख दी
दो भागों में बांटा मुझको पल पल में हैरानी लिख दी
एक पलड़े में लिखी कहानी बोला तुम तो सत्य सिंधु हो #yqdidi