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cwamxharma6886
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Cwam Xharma

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Cwam Xharma

मेरी ज़िन्दगी जीने की हर रस्म तुम हो,
गीत ग़ज़ल या हो नज़्म सब तुम हो
तुम हो........................ तो हम हैं
बाकी दर्द तमाम हैं मरहम सिर्फ़ तुम हो
बेशक कांटों के सफ़र से गुजरे ज़िंदगी
हर जख्म बेअसर हैं गर हमसफर तुम हो
और क्या क्या बताए......तुम्हें ऐ सनम
मेरा हर क़दम तुम हो, मेरा हमदम तुम हो
मेरा हर वचन तुम हो , मेरा हर करम तुम हो
तुम हो ...तुम हो... और सिर्फ़ तुम हो....❤️

                                    ✍️ ख़ुदरंग..✍️

©Cwam Xharma
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Cwam Xharma

एक बड़ा शजर गिर गया 
कितनी ही खामोशी में,
जाने कितना कुछ समेट ले गया 
वो अपनी आगोशी में
एक घोंसला चिड़िया का ,
उम्मीदों का घर गिलहरियों का,
था झूलता झूला 
बच्चो की खुशियों का,
ले साथ अपने सबकुछ 
डूब गया अनंत बेहोशी में,
एक बड़ा शजर गिर गया 
कितनी ही खामोशी में....
                          ✍️ ख़ुदरंग...✍️

©Cwam Xharma
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Cwam Xharma




तेरे शहर आकर थम से जाते हैं पांव मेरे
यहां की हवाओं में गूंजती हैं खनक तेरे पायलों की,
ये लखनऊ हैं जनाब, ज़रा नक़ाब से काम लीजिए
हर रोज़ बढ़ती जा रहीं हैं संख्या दिलों के घायलों की
                                              ख़ुदरंग..

©Cwam Xharma
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Cwam Xharma

अंतर्द्वंद की काली चादर ओढ़े,
फिरते हम ख़ुद से ख़ुद का मुख मोड़े
जाने कितने भावों का बोझ सर पर रखकर
हंसते रहते हरपल सबसे अपने शब्द सिकोड़े
है समर यही कुरुक्षेत्र यहीं
पार्थ मैं ही और दुर्योधन भी
सकुनी भी मैं ही और भीष्म भी
हैं कमी कहीं तो बस एक यही
ना कृष्ण कहीं ना कर्ण कहीं
सारे के सारे निर्णय ख़ुद ही ख़ुद को करने हैं
हो सम्मुख कोई भी युद्ध स्वयं ही लड़ने हैं
है प्रथम चुनौती बस इतनी
ख़ुद को अडिग बना पाना
गलत सही का निर्णायक मैं हूं ही नहीं
फिर भी ख़ुद को सही साबित कर पाना
शेष मौन का मुकुट शीश से जोड़े
फिरते हम ख़ुद से ख़ुद का मुख मोड़े ...
                        ✍️ पं. शिवम् शर्मा ख़ुदरंग ✍️

©Cwam Xharma
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Cwam Xharma

#कहो_गर्व_से_हम_हिंदू_हैं

माथे तिलक , कांधे पर जनेऊ सजा
मंदिर मंदिर दौड़े थे,
ख़ुद को हिंदू साबित कर हिंदू वोट से
ही जीते थे
जब जीत गए चंद सीटे तो सोचा जग
सारा ही जीत गए
जो ख़ुद हर पल हिंसा का शिकार हुए
उन हिंदू को ही हिंसक बोल गए
भूल गए क्या नाम में गांधी देने वाले
अपने पुरखे उस बापू को,
हिंसा के विरोध में दूजा गाल बढ़ाने
वाले उस हिंदू को
जब सारे ही जग में हिंसा सब के
सर पर  हावी थी,
तब अहिंसा परमो धर्मः बतलाने वाले
हिंदू महावीर जी स्वामी थे
जिसने हर पल हिंसा झेली फिर भी
हिंसा को ना हांथ खड़े किए,
काश्मीर से भगाए गए फिर भी बस
खामोश रहे
जिसने हत्याएं देखी रामभक्तो की
फिर भी ना सड़को पे हिंसक हुए
हिंदू को हिंसक कहने से पहले अपने
कालर को देखो जी,
सच सच बतलाओ चौरासी की हिंसा 
आखिर किसने शुरू करी
सुनो कान खोल विधर्मी गांधी
हिंदू अगर हिंसक होता
तो रामलला का मंदिर इतने दिन
टला नहीं होता,
हिंदू अगर हिंसक ही होते तो
ज्ञानव्यापी में फिर संयम कब का ही 
हिंदू खोए होते
महादेव पे फिर हांथ पैर 
कभी किसी ने ना धोए होते
हिंदू अगर हिंसक होता,
तो मथुरा में मस्जिद की सीढ़ी अबतक
टूट चुकी होती,
गर हिंदू हिंसक ही होते तो
हिंदू को हिंसक कहते ही
तेरी हड्डी पसली वहीं टूट चुकी होती..
 
                  ✍️पं. शिवम् शर्मा ख़ुदरंग✍️
                           रूरा कानपुर देहात

©Cwam Xharma
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Cwam Xharma

तुम्हें देखकर हम भरते हैं सांसे,
हमारी निगाहें तुम्हीं पे टिकी हैं
तुम्हीं इश्क़ मेरा , दिल भी तुम्हीं हो
कहानी महोब्बत की तुम्ही पे लिखी हैं
आकर के बरसा हैं जब जब ये सावन
बूंदों में तस्वीर तुम्हारी दिखी हैं
खुमारी तुम्हारी छाई हैं ऐसी,
जिंदा तो हम हैं,तुम्ही से ज़िंदगी हैं
तुम्हें देखकर हम भरते हैं सांसे,
हमारी निगाहें तुम्हीं पे टिकी हैं...❤️
                           ✍️ ख़ुदरंग...✍️

©Cwam Xharma
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Cwam Xharma

पूज कर पांव मुझको ना भगवन करो,
संग मेरे प्रेम से बस ये जीवन जिओ

हो निराशा या आशा हो पल कुछ कहीं
राह कांटो की हो संग संग चलती रहों 

पूज कर पांव मुझको ना भगवन करो...

हैं अभाव के घाव बहुत इस संसार में,
प्रेम छिड़कावो से घाव सब भरती रहों

पूज कर पांव मुझको ना भगवन करो...

हूं ना भगवान वरदान जो दे मैं सकूं
जो भी दे दूं वो स्वीकार करती चलो

पूज कर पांव मुझको ना भगवन करो...

ख्वाहिशें हैं बहुत, कोशिशें भी हैं कई
हार जाता हूं पर मेरी मजबूरी यहीं

हार को तुम मेरी जीत में गढ़ती रहों
संग मेरे प्रेम से बस ये जीवन जिओ

पूज कर पांव मुझको ना भगवन करो...

                              ✍️ ख़ुदरंग...✍️

©Cwam Xharma
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Cwam Xharma

और फ़िर जो हुआ, प्यार वो बन गया
थाम कर हांथ मेरा वो खुदा बन गया
उसकी हथेली में लकीरें मेरी पूरी हुई
मेरी खुशियों का वो रास्ता बन गया...
और फ़िर जो हुआ, प्यार वो बन गया...
                             ✍️ ख़ुदरंग....✍️

©Cwam Xharma
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Cwam Xharma

इन आंखों के गलियारों में,
फिरते ख़्वाब मेरे आवारों से
दस्तक देती रहती सूरत तेरी हरपल 
मूंदते_खुलते पलखों के किवंडो पे...

इन आंखों के गलियारों में...

उठती उमंग मलंग सी कोई,
जैसी पवन फुलवारी के बागों में
चिड़ियों सा राग अलापा करती धड़कन
जैसे मंद राग झरनों और फव्वारों में...

इन आंखों के गलियारों में....

भीनी भीनी महक सी छाई रहती,
जैसी बसंती मौसम के गुलज़ारों से
आकर ऋतुएं करें बसेरा उसमें
जब जब पग रखें श्रंगारो में...

इन आंखों के गलियारों में...
     
                   ✍️ ख़ुदरंग...✍️

©Cwam Xharma
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Cwam Xharma

दुनिया समझाने आई थी...... इक पागल को ,
यानी रंग आंखो का बतलाने आई थी काजल को
मदहोशी थी मदहोशी हैं मदहोशी में ही जो खोया हैं
जख्मों से डरवाने आई थी.... उस घायल को....

दुनिया समझाने आई थी.....इक पागल को....

पहले नूर को जिसने देखा.....मय में जाकर डूब गया
तारों में कैसी ज़ीनत, बतलाने आई थी उस कायल को
मौजी था मौजों में हैं मौजों में जो अपनी ही खोया हैं
गहराई से डरवाने आई थी ....उस सागर को....

दुनिया समझाने आई थी.....इक पागल को....

                                       ~ख़ुदरंग~

©Cwam Xharma
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