हाँ इस बात के इंतजार में कब से थी मैं , तुम तो अब बोल दिए मेरे मन के बातों को अब तुम्हे संभालने की सारे जिम्मेदारी लेती हूँ मैं ।।। कैसे तारीफ करें समझ नहीं आता शब्दों की महफिल में आपकी तारीफ लायक कोई शब्द नजर नहीं आता। खिले हैं फूल चारो दिशाओं नेह यूं तो जर्रे जर्रे में रंगत नजर आती है कैसे समझायें इस नादां दिल को जब से इन नजरों ने