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#फिर ये मत कहना तुम क्यूँ बदल गए एक जगी हुई आस थी

#फिर ये मत कहना तुम क्यूँ बदल गए

एक जगी हुई आस थी
की तुम दूर रहकर भी पास थी
बढ़ाया था जब हाथ तुमने दोस्ती का
तब एक भरोसा एक एहसास थी
फिर क्या हुआ!
कटते थे जो दिन रात तुम से ही
वो रात कहीं बदल गयी!
मैं कितनी बार समझाता था दिल को
पर वो जज्बात बदल गयी!
टुटा भरोसा,टूटे सपने
अब वो साथ बदल गयी!
अब दिल हो चूका था नाजुक
फिर सम्भलना था मुश्किल पर
बीते वक़्त ये बात बदल गयी!
मैं चाह के भी कुछ न कह पाया उसको
क्यूँ की वो अल्फाज बदल गए!!
#अंतिम_शब्द
फिर मत कहना की तुम क्यों बदल गए
       
#अभय_झा #फिर मत कहना की तुम क्यूँ बदल गए
#फिर ये मत कहना तुम क्यूँ बदल गए

एक जगी हुई आस थी
की तुम दूर रहकर भी पास थी
बढ़ाया था जब हाथ तुमने दोस्ती का
तब एक भरोसा एक एहसास थी
फिर क्या हुआ!
कटते थे जो दिन रात तुम से ही
वो रात कहीं बदल गयी!
मैं कितनी बार समझाता था दिल को
पर वो जज्बात बदल गयी!
टुटा भरोसा,टूटे सपने
अब वो साथ बदल गयी!
अब दिल हो चूका था नाजुक
फिर सम्भलना था मुश्किल पर
बीते वक़्त ये बात बदल गयी!
मैं चाह के भी कुछ न कह पाया उसको
क्यूँ की वो अल्फाज बदल गए!!
#अंतिम_शब्द
फिर मत कहना की तुम क्यों बदल गए
       
#अभय_झा #फिर मत कहना की तुम क्यूँ बदल गए