|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 10
।।श्री हरिः।।
8 – अदम्भ
अवस्था उनकी सत्तर वर्ष से ऊपर की हो गयी है - कदाचित अस्सी के लगभग हो। दुबला शरीर है पर्याप्त लम्बा गौर वर्ण, श्वेत केश और अब झुर्रियाँ तो पड़नी ही हैं। सिर उठाकर जिसकी ओर देख लें, सौभाग्य उसका, अन्यथा मस्तक झुका ही रहता है सदा और दृष्टि जैसे अपने पदों से दो पद आगे तक ही सीमित
रहती है।