मंजिल फौलादी वक़्त की जकड़न से,निकल अलग मुकाम बनाउगा, वक़्त को वक़्त मैने बहुत दिया,वक़्त को बदलना भी सिखाऊंगा, पथरीले रास्तों से प्यार मुझे,कुछ नया सीख कर आऊंगा, रास्तों पर मैं निकल पड़ा ,यारो मंजिल भी जल्दी पाऊंगा, इकरार किया है बुजदिलों से,मैं बुजदिल ना बन पाऊंगा, जहर बहुत मेरे लिए उगल रहे, अब मैं खुद को न और सताऊंगा, हंसते हंसते इन कांटो को,रस्ते पर ही आग लगाऊंगा, रास्तों पर मैं निकल पड़ा ,यारो मंजिल भी जल्दी पाऊंगा, राही हूं कठिनाइयों का,इनसे हारूंगा नहीं हराऊंगा, अभी तक बाते खुद से की,औरो के मुख से भी निकल आऊंगा, ये सांसे बंद तुमसे ना होगी,दिलों में इक दिन जी जाऊंगा, रास्तों पर मैं निकल पड़ा ,यारो मंजिल भी जल्दी पाऊंगा, कवि कलम तराजू ना देखे,बात को बात ही बताऊंगा, यशगाथाए "विक्की" जिनकी अमर हुई,उनसे सीख कदम बढ़ाऊंगा, हराना मुमकिन नहीं मुझे,कुछ सीखूंगा और जीत जाऊंगा, रास्तों पर मैं निकल पड़ा ,यारो मंजिल भी जल्दी पाऊंगा, ✍🏻 विक्की संतपुरिया #मंजिल फौलादी वक़्त की जकड़न से,निकल अलग मुकाम बनाउगा, वक़्त को वक़्त मैने बहुत दिया,वक़्त को बदलना भी सिखाऊंगा, पथरीले रास्तों से प्यार मुझे,कुछ नया सीख कर आऊंगा, रास्तों पर मैं निकल पड़ा ,यारो मंजिल भी जल्दी पाऊंगा, इकरार किया है बुजदिलों से,मैं बुजदिल ना बन पाऊंगा,