अंधेरों में जब डूब रहा था, कोई नहीं जब थाम रहा था। सब कुछ ही जब खो गया था, तब मैंने तुमको पाया था। (पूरी कविता अनुशीर्षक में) अंधेरों में जब डूब रहा था, कोई नहीं जब थाम रहा था। सब कुछ ही जब खो गया था, तब मैंने तुमको पाया था। सारी रातें मेरी रोते-रोते, कटती थी जैसे तैसे सोते। हर सपना जब मुरझाया था,