विरह,वेदना, व्याकुलता अब बारम्बार बढ़ रही, सहनता सहस्र बेज़ार आलम की तोरण चढ़ रही, प्रियमिलन प्रियतमा प्रियतम की बागी हो रही है, मिलन की चाह ठिठुराये बेमौसम बरसात हो रही है। #बेज़ार_आलम_काव्य_संगीत 👉समय सीमा आज 8:30 Pm से कल 8:30 Pm तक है,प्रतियोगिता में भाग लेने के बाद comment में time+Done के साथ अपनी रचना भी लिख दीजिए,ताकि विजेता घोषित करने वक़्त विजेताओं को सुचित करना ना पड़े,, 🎑काव्य संगीत प्रतियोगिता 12 में आपका स्वागत करता है। आप 25-30 शब्दों में अपनी सराहनीय श्रेष्ठ उत्कृष्ट अनुपम उत्तम रचना लिखें। #काव्य_संगीत #yqdidi #yqbaba 👉मौलिक रचना लिखें, वो भी भारतीय भाषा में, और रचना की प्रत्येक पंक्ति में सिर्फ़ 01-12 शब्दों हीं प्रयोग करें।