शिकास्ता हाल ज़मी पर गिराई गई हूं मैं राहे मोहब्बत में बोहत आज़माई गई हूं मैं ।। ये आंखो से दरिया बेवजह नही बेहते खुद नही रोती रुलाई गई हूं मैं ।। आदत हुई कफस की तो कर दिया रेहा तेरी दुनिया में कितना सताई गई हूं मैं ।। शाबो रोज़ लिखे अपने बर्बादियों के किस्से यूं ही नही शायर कहलाई गई हूं मैं ।। #शिकास्ता हाल - हारे हुए हाल में #कफस- पिंजरा, रेहा- आज़ाद #शाबो रोज़- रोज़ रातों को #Struggle #Sanggharsh #संघर्ष #QAndA