वह हवा में घुली खुशबु की तरह मेरे शाम को ख़ुशनुमा बनाती हैं ज़ुल्फों को उंगलियों से किनारे कर ख़ुद को मेरी नज़रों से बचाती हैं सब से मिलकर भी मिल नहीं पाती न जाने क्यों मुझसे अपनी हर राज़ बतलातीं हैं। शायद वो सबसे अलग है इस जहाँ में, उसकी मासूमियत ही जो उसे औरों से ख़ास बनाती हैं। sayad tum wo hi ❤️❤️