💘💘💘💘💘💘💘💘 💘 तन्हाई का मुसाफ़िर 💘 💘💘💘💘💘💘💘💘 हर सुबह निकल पड़ता हूं खुद को तलाशने कभी मिल जाता हूं , कभी खो जाता हूं आज भी वोह बातें याद आती है तेरी कभी हँस जाता हूं , कभी रो जाता हूं रोज़ तारों की साज़ी महफ़िल में तन्हा रहता हूं कभी जग जाता हूं , कभी सो जाता हूं 🧡🌼🧡🌼🧡🌼🧡🌼🧡🌼🧡🌼🧡🌼🧡🌼🧡 ©Sethi Ji ❣️ दर्द-ए-जुदाई ❣️ दिल का दर्द कहाँ कोई समझता है ज़िन्दगी में हर कोई प्यार पाने को तरसता हैं ।।