गरीब मजदूरों के खून-पसीने की कमाई का मोल-भाव करती मँहगाई,, एक-एक करके सारे जनमानस को अपना बेख़ौफ़ ताव दिखाती मँहगाई । दो जून की रोटी पर मची है आफत जाने कब थमेगी बेपरवाह बढ़ती ये मँहगाई ,, हर इन्सां खड़ा है बेबसी की कगार पर जाने कब अपना रुख बदलेगी ये मँहगाई। #अनतर्राष्ट्रीय_मजदूर_दिवस #हार्दिक_शुभकामनाएं ©Supriya sinha #nojotahindi #मजदूरदिवस #nojotaquotes #rohitsharma