पहला नशा पहला नशा, ये जिन्दगी की हमें किस मोड़ पर ला खड़ा किया । मांगी थी हमनें कुछ खास नहीं पर तुने महबूब से हमें मिलवा दिया! ऐ खुदा तेरी खुदाई आज सचमुच में हमें रंग कायनात की दिखा दिया! सुरेन्द्र कुमार उपाध्याय मन्टू उपाध्याय तिसरी गिरिडीह झारखंड