वो मेरा नाम लेकर बन गए जो रहनुमा सबके कोई जाकर उन्हें मेरे सबक फिर से सिखा आए मैं ना ही धर्म हूँ ना जाति का कोई दिखावा हूँ मुझे मानो जो तुम इंसान तो इंसाफ़ हो जाए मैं तस्वीरों की तन्हा भीड़ में तुमको मिलूं कैसे मिलने की तमन्ना हो तो बस मुझको पढ़ा जाए -सरिता मलिक बेरवाल ©Sarita Malik Berwal #अम्बेडकर