दीदार किए अरसा हुआ, चौखट भी सजदा करती है बस याद कर आगाज़ दे, तू अब भी दिल में रहती है सोच कर कुछ बोल कर उस मोड़ का कोई छोर दो मैं जैसा भी हु वैसे ही, मुझे अपने हवाले छोड़ दो वैसे भी क्या करना था नकलिस्ता में परचम हो के चहरो ने चहरे को मारा असली का असलम हो के राज़ हो कोई रोझे का तो इफतारी में मांग लो दुनिया जूठी जनता है, हमदम तुम भी जान लो कुछ ज्यादा मांगा था क्या जो मौत मिली अफजाई में इंसाफ़ कैसा है मिर्ज़ा, जो जीवन दे रुसवाई में #dharmuvach✍🏻 क्या हर समस्या का हल होता है? #समस्याकाहल #collab #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi #dharmuvach #hindiurdu #urduhindi_poetry