नये तरीको से कारनामो को अंजाम दे रहा हैं काम इंसान दे रहा हैं, या भगवान दे रहा हैं खुदा को कोसता हैं कोई, कोई खुद को कोसता हैं यहाँ हर कोई अपने हिस्से का इम्तिहाँ दे रहा हैं जो ज़ीस्त ए सुखन न दे सका शहर का कमरा मुझे उसकी आज़ादी तो गांव का पुराना मकान दे रहा हैं कुछ ऐसे भी परिंदे हैं यहाँ, यार मेरे शहर मे जो काम नहीं देता, मगर आज जुबान दे रहा हैं वक़्त से बलवान भी क्या कुछ होता हैं मेरे यार इसकी गवाही तो आज हर एक शमशान दे रहा हैं ©CHANDAN THAKUR SATYA #satyathakur #covid19 #Fight #warrior