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हिजाब से झांकती, उन आंखों के कुछ अफसाने, कुछ किस्स

हिजाब से झांकती, उन आंखों के
कुछ अफसाने, कुछ किस्सें थें
चाहती थीं कुछ, बयां जो करना
पर हया की डोर से बंधे, 
हिजाब के कुछ हिस्से थें।

नीरज श्रीवास्तव
मोतिहारी, बिहार

©Niraj Srivastava
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