ये ख़ुशबू मिट्टी की हे इसमें उसका कोई स्पर्श नही इस ख़ुशबू को मेरी ख़ातिर फिर क्यों ना पहचाने तू ..!! दिल क्यों बात ना माने तू ? दिल क्यों बात न माने तू... यह प्रेमी प्रेमिका कि अलग होने केआगे की कहानी हे जिस्म प्रेमी चलती हुई हवाओं में अपनी प्रेमिका की सोंधी-सोंधी सी ख़ुशबू को महसूस करता हे पर वहअपने दिल को समझता हे कि नहीं यह बरसात कि बाद गीली हुई मिट्टी की सी ख़ुशबू हे और अपने दिल ओ दिमाग़ पर ज़ोर दे कर उसे अपने दर्द से दूर ले जाने का प्रयास करता हे