___________औरत _____________ वो अपनी ज़ोर ज़ोर से वफ़ाएं बता रहा था मुझ इश्क़ की अंधी को आईना दिखा रहा था जहाँ मेरा वज़ूद भी ख़त्म हो जाता था वो बा वफ़ा मुझे इतना नीचा दिखा रहा था मैं इश्क़ में डूब के रो रही थी जार जार और वो सरे आम मुझ पर चिल्ला रहा था नक्स ज़ुल्म के मेरी रूह पे खरोंच कर, पता नहीं क्या बना रहा था,क्या मिटा रहा था मिट कर भी महकाना है घर आँगन मुझे, मेरी माँ ने कहा था,मुझे बड़ा याद आ रहा था औरत #women #aurat #hindipoetry #hindishayari #gazal #madhavawana