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तन्हाई के इस आलम मे बिखरता जा रहा हूँ बे-गैरत को अ

तन्हाई के इस आलम मे बिखरता जा रहा हूँ
बे-गैरत को अपनाते अपनाते थकता जा रहा हूँ,

ना काबिल कह कर छोड़ा था साथ मेरा 
अब कलम के सहारे तेरे इश्क़ का फित्तूर
महफ़िल में सुनाए जा रहा हूँ ।
Avinash 💓💔💓
तन्हाई के इस आलम मे बिखरता जा रहा हूँ
बे-गैरत को अपनाते अपनाते थकता जा रहा हूँ,

ना काबिल कह कर छोड़ा था साथ मेरा 
अब कलम के सहारे तेरे इश्क़ का फित्तूर
महफ़िल में सुनाए जा रहा हूँ ।
Avinash 💓💔💓