तन्हाई के इस आलम मे बिखरता जा रहा हूँ बे-गैरत को अपनाते अपनाते थकता जा रहा हूँ, ना काबिल कह कर छोड़ा था साथ मेरा अब कलम के सहारे तेरे इश्क़ का फित्तूर महफ़िल में सुनाए जा रहा हूँ । Avinash 💓💔💓