कविता कविता कर्म है। कविता धर्म है। कविता आगाज है। कविता अभिलाषा है। कविता अदम से कदम है। कविता पथ-प्रदर्शक है। कविता आरा है ,अल्फाजों का। कविता भावो से भरी व्यथा है। कविता अभिव्यक्ति है ,जीवन की। मनुष्य के अभाव,प्रभाव और स्वभाव की। पेड़-पोधौ, पक्षियों, प्रकृति की। अल्लाह, ईश्वर,रब,इश्क-इबादत की। वात्सलय ,वीर,करूण,रौद्र, श्रृंगार.... ......से भावों की। कविता अमानत है, सदियों पुराने जख्मों की। नई-पूरानी सीखो की। हृदय की चीखों की। अस्त-व्यस्त से व्यवस्थित हुए जीवन की। कविता संग्रह है ,स्मृतियों का। कविता धरोहर है ,कुछ लम्हों की। कविता पिटारा है, अनुभवों का। कविता प्रस्तुति है, कुछ घावों की। कविता गवाह है ,इतिहास के पन्नों की। वीरों की शोर्य की महागाथा की। मजदूरों की मजबूरी और मजबूती की। स्त्रियों की सहनशीलता और संदेशों की। पुरुषों की प्रधानता, प्रहारों की। कविता चाहत है, बच्चों के लिए खिलौनो की । कवियत्री/कवियों के लिए कविता की। भक्तों के लिए भक्ति की। आत्मा के लिए परमात्मा की। कविता मेरा कर्म है। कविता ही धर्म है। 'अनन्तकाल' से 'अनन्तकाल' ........जाने वाली "कविता" इसके बीना अधूरा जीवनश्रम है। ✍️ निकिता चारण #kavita #sahity #life#poet