"थक चुका हूं चलते चलते, थोड़ी सी प्यास लगी है। मंजिल का कुछ पता नहीं, बस सीने में आग लगी है। बुझाने को इन्हे सारा समंदर चाहिए मुझे..... ठहरने को धरती ,उड़ने को अंबर चाहिए मुझे।।" "हार चुका हूं लड़ते लड़ते, सांसों में कुछ सांस बची है। जीत का कुछ पता नहीं, एक छोटी सी आश बची है। हिम्मत नही है बाकी मुझमें, अब ऐसी लगन चाहिए मुझे... बोलने को शब्द, लिखने को कलम चाहिए मुझे ।।" #rockmel03 #kalamkaar#emptymind