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नादान परिंदो सी मैं उड़ती गगन में,गगन को अपना मान

 नादान परिंदो सी मैं उड़ती गगन में,गगन को अपना मान बैठी, पता नहीं कब मेरा गगन मुझे झुलसा गया बूरी तरह।
#लक्ष्मी_गौतम
 नादान परिंदो सी मैं उड़ती गगन में,गगन को अपना मान बैठी, पता नहीं कब मेरा गगन मुझे झुलसा गया बूरी तरह।
#लक्ष्मी_गौतम