किस्मत की रेखा के भरोसे बैठकर हम कभी अपना समय व्यर्थ ना गंवाएंगें। इंसानी जन्म पाया है हमने तो अपनी क़िस्मत हम खुद ही लिख कर दिखाएंगें। फल की चिंता में कर्म करने से ना घबराएंगें कर्मठ बन कर्म करते ही जाएंगें। अपने कर्मों के बल पर ही आसमान की बुलंदियों पर अपना परचम लहराएंगें। 📌निचे दिए गए निर्देशों को अवश्य पढ़ें..🙏 💫Collab with रचना का सार..📖 🌄रचना का सार आप सभी कवियों एवं कवयित्रियों को रचना का सार..📖 के प्रतियोगिता :- 145 में स्वागत करता है..🙏🙏 *आप सभी 4 पंक्तियों में अपनी रचना लिखें। नियम एवं शर्तों के अनुसार चयनित किया जाएगा।