बयां हो नहीं सकती फिर भी बयां करता हूँ, जानी मैं मोहब्बत बेहद, बेपनाह करता हूँ, गर इश्क़ गुनाह है अदीबों* ,तो सजा मेरी भी तैयार रखना, एहतिहातन* मैं भी ये गुनाह करता हूँ.... *अदीबों -विद्वानों *एहतिहातन- सावधानी से #Mohabbat, #Bepnah, #Gunah, #Shayari, #Sharif