बेशक नजरिया आपकी साफ हैं, मगर लोगों को नजरंदाज करने कहां भूले हों? यह जो लोगों को तराशने की आदत हैं! उससे मर्कुम होना कहां भूले हों? आपकी गली में घूम रहे हैं तो, आपको हमसे सिकायाते किसलिए? काल तो आप भी हमारे दोस्त थे; फिर यह फर्ज ए रिवायत किसलिए? हम तो आपके जिस्म ए अब्रू से वाकीफ हैं; अब घूंघट में झुकी नजरे किसलिए? #yqquotes #nazar #nazriyaa ... #YourQuoteAndMine Collaborating with Sudipta Mazumdar #yourquote #yourquotes #yourquotebaba