चंद तहरीरों ने जैसे कर्ज़ तमाम उतार दिये, बाकी रहा न कुछ शिकवे सब बिसार दिये। अनकही बातें भी मन को चुभती नहीं अब, एक तारीख़ ने सब ग़म हँसी से संवार दिये। इंतज़ार की वीरानी में काफ़ी हैं कुछ हलचलें, एक आहट ने ही जैसे मर्ज़ सब सुधार दिये। तन्हा लम्हे के कंकड़ ने बहने न दिये आँसू, पल भर की ख़ुशी ने जैसे सब निथार दिये। ज़िंदगी की किताब में तय उनके पन्ने 'धुन', चंद लफ़्ज़ों ने, सालों जैसे उन्हें दुलार दिये। Rest Zone आज का शब्द 'तारीख़' #rzmph #rzmph208 #तारीख़ #sangeetapatidar #ehsaasdilsedilkibaat #yqdidi #poetry #rzhindi