मुजे लगता हे की कुश खाश हे रीशता हमारा वरना यु न मिलते जेसे प्यासे को तालाब । मुजे लगता हे की कुश खाश हे रीशता हमारा वरना यु न समझ ते ऐक-दुजे के जेसे ऐक मा अपने बच्चे को । मुजे लगता हे की कुश खाश रीशता हे हमारा वरना यु न कहते अपनी आपसी रन्नजीशे यु जेसे ऐक लक्त अपने भोले से । मुझे लगता हे की कुश खाश रीशता हे हमारा वरना यु न कहते लोग की हमे बनाया हे खुदा ने ऐक-दुजे के लिये । मुजे जगता हे की भोले ने बनाया तुम को मुजको मुज से मिलाने।