#OpenPoetry वो लड़की , कुछ शरमाई सी ,कुछ घबराई सी , कुछ अपनी सी ,कुछ पराई सी, रहती है मुझमे , रूह की तरह, उठती हुई अज़ान सी , अंजानो में ,मेरी पहचान सी , मुझे मुझसे मिलाती है , रूबरू जब भी वो आती है , महक सा जाता हूँ मैं , गुलाब की तरह , छा जाता है नाश उसका मुझपे, नकाब की तरह , मुझमे ,मुझसे ज्यादा रहती है , ना कुछ लबो से वो कहती है , बस चुपके से देखता हूँ उसे , वो कुछ शरमाई कुछ घबराई सी रहती है , वो लड़की ।। #OpenPoetry