हम देखें गे! लाज़िम है कि हम भी देखें गे वो दिन कि जिसका वादा है जो लौहे-ए-अज़ल में लिख्खा है जब ज़ुल्म-ओ-सितम के कोह - ए- गेराँ रोई की तरह उड़ जाएंँगे हम महकूमों के पाँव-तले जब धरती धड-धड धड़के गी और अहल-ए-हकम के सर ऊपर जब बिजली कड़ - कड़ कड़के गी जब अर्ज़-ए ख़ुदा के काबे से सब बुत उठवाए जाएंँगे हम अहल-ए-सफा मरदूद-ए- हरम मसनद पे बिठाए जाएंँगेदेखें गे सब ताज उछाल-ए-जाएंँगे सब तख्त गिराए जाएंँगे बस नाम रहे गा अल्लाह का जो गायब भी है हाज़िर भी जो मंज़र भी है नाज़िर भी उठ्ठे गा अनल - हक़ का नारा जो मैं भी हूँ और तुम भी हो और राज करेगी ख़ल्क़ -ए- खुदा जो मैं भी हूँ और तुम भी हो (फ़ैज़ अहमद फ़ैज़) The famous poem of #Faiz_Ahmad_Faiz what has been considered Atni_Hidu slogan, (forgive me) in real it's not as mentioned & propagated by fascist forces & mob, it's a revolutionary, creative and dynamic anthem for all, beyond the time irrespective cast, creed and religion. #nojoto#poem#shayari#protest#demonstration#faiz_ahmad_faiz Prince 💔8009062952💔 Vamik Shanib raza khan Anuragg Suri ¯Mr_@kash#