Nojoto: Largest Storytelling Platform

जज़्बातों की हद से हम कब गुजर गए! उसके छलकती अन्जुम

जज़्बातों की हद से हम कब गुजर गए!
उसके छलकती अन्जुमन की चाह में ,
हम साहिल को छोड़ गए!
जब लौटा अरमान-ए-खाक
 कर अपनी बस्ती में,
बदनामी की डलियाँ पूछ रही थी,
तू तो दूसरे के छत की चाँद को 
अपना समझ गए!


     ----दीपक शाही #अपनीसिसकियाँ
https://www.facebook.com/authorDeeps/
जज़्बातों की हद से हम कब गुजर गए!
उसके छलकती अन्जुमन की चाह में ,
हम साहिल को छोड़ गए!
जब लौटा अरमान-ए-खाक
 कर अपनी बस्ती में,
बदनामी की डलियाँ पूछ रही थी,
तू तो दूसरे के छत की चाँद को 
अपना समझ गए!


     ----दीपक शाही #अपनीसिसकियाँ
https://www.facebook.com/authorDeeps/
deepakshahi4073

Deepak singh

New Creator